मन री बात !

किसी राजपूत नेता या व्यक्ती द्वारा महाराज,महाराणी,कुंवर,ठाकूर,भंवर,श्रीमंत आदी विशेषणों का प्रयोग अगर होता हो तो वह तुरंत बन्द कर देना चाहिए...ऐसा युवराज राहुल गाँधी ने कहा है! (माफ़ कीजिये हमने न चाहते हुए भी उन्हें युवराज कह दिया...!) क्योंकि यह अधिकार केवल गाँधी-नेहरु परिवार तक ही अब सिमित रह गया है! उन्हें ही केवल पंडित जी, प्रियदर्शिनी आदि से नवाजा जा सकता है! राजपूत अब राजा नहीं है...उनके पास कोई रियासत नहीं है इसलिए उनका यह अधिकार{?} अब समाप्त कर दिया गया है ऐसी उद्घोषणा राहुल ने कर दी है....इस बात से हमें अब बेखबर रहने की कोई जरुरत नहीं है!

अब कुछ दिनों के बाद यह भी आदेश जनपथ से दिया जा सकता है .....की अब कोई अपने नाम के आगे अप्पा साहेब, नाना साहेब, दादा साहेब, आदरणीय,माननीय, श्रीमान जैसे शब्दों का विनियोग ना करे....क्योंकि जनता के पास इतना सन्मान नहीं होता है जो सिर्फ सियासत की बागडोर संभालने वाले नेताओं के ही पास होता है! आगे चल के कोई पगड़ी,साफा ना बांधे ....सिर्फ गाँधी टोपी पहने ऐसा भी आदेश (फतवा} निकल सकता है....हमें सावधान ही रहना होगा! (जब तक फैसला नहीं आ जाता तब तक कोई नई ना ख़रीदे...पैसा व्यर्थ हो जायेगा....!) आम आदमी के लिए जल्द ही एक ड्रेस कोड होगा....ताकि क्लासेस और मासेस में फर्क नजर आये! देश में महंगाई इतनी कर दी जाएगी की आम आदमी कोई गाड़ी ना खरीद सके....अगर खरीद हो ही गयी हो तो वह उसे चला ना सके.....यहाँ के रास्ते पर सिर्फ नेता या अमीरों की ही गाड़िया चलनी चाहिए....! अब संविधान ने जो आजादी हमें दी है, उसे भी रोक लगा दी जा सकती है, क्यों की सरकार के खिलाफ बोलना भी गलत माना जायेगा! (बाबा रामदेव का उदाहरण हमारे सामने है ही!)

चाहे हमारी परंपरा, सन्मान,इतिहास,रीती-रिवाज कुछ भी हो, गणतंत्र में आपकी दाल गलनेवाली नहीं है! यह जनता ने दिए हुए...बहाल किये हुए सन्मान जनक विशेषण है ....फिर भी हम उसका इस्तेमाल नहीं कर सकते है ...क्योंकि अब जनता वोट सिर्फ नेता को देती है! और नेता महान है....! नेता इस देश का भविष्य है! इस देश की रक्षा नेता के पुर्वजोने अपना खून बहाकर की है! राजपुतोंको जो सन्मान बिना कुर्सी का मिलता है...जो उन कुर्सिवाले नेताओं को नहीं मिलता है...इसलिए यह लोग हमारे विशेषणों को लेकर भी राजनीती कर सकते है! कभी इतिहास को लेकर,कभी राम को लेकर ,कभी महाराणाप्रताप या शिवाजी महाराज को लेकर उन लोगोने राजनीती भी कर ली! समाज में आपसी फुट भी डाल दी! देश को लुट भी लिया...राजपूतों के तमाम संस्थान विलीन कर दिए.....सीलिंग कानून लगाकर जमींदारों की भूमि निकाल ली गयी.......अब हमारे विशेषणों को हटाकर हमारी वह पहचान भी मिटा रहे है! शायद हमारे मुख ज्यादा तेजस्वी है...हमारी मुछे--दाढ़ी ज्यादा अच्छी दिखती है...इस वजह से नेता का प्रभाव कम हो जायेगा......पाबन्दी आ सकती है!

क्षत्रिय समाज ने इस राष्ट्र के लिए जो त्याग किया है...वह केवल शब्दों में लिखा नहीं जा सकता.. इतना महान है! क्षत्रिय राजाओ ने इस विश्व में अनगिनत आदर्श निर्माण किये.....उनके त्याग या योगदान के सामने आज के तथाकथित नेता धुल के समान है! हम उन नेतागिरी करनेवाले लोगों से अपील करना चाहते है की वे हमारे निम्नलिखित सवालों के जबाब दे.......!

क्या आज के राजनेता अपनी निजी(?) संपत्ति राष्ट्र के नाम समर्पित कर सकते है?

क्या आज के राजनेता अपनी जमीं भूमिहीन लोगों में बाट सकते है?

क्या आज के राजनेता क्षत्रिय राजाओं के भाती केवल ५ साल सत्ता के बाद वानप्रस्थ का स्वीकार कर समाज सेवा में जुट सकते है?

क्या आज के राजनेता अपने ख़राब चरित्र के लिए प्रायश्चित ले सकते है?

क्या आज के राजनेता किसी मामले में दोषी अपने ही परिवार के लोगों को सजा दिलवाने में आगे आ सकते है?

अगर इन सामंतवादी विशेषणों से आपको आपत्ति है तो क्या आप इस राष्ट्र में रहने वाले भिन्न-भिन्न समुदाय के लोगों के पोशाख....प्रार्थना....भाषा....व्यवहार...संस्कृति.....श्रद्धा .....स्वागत पर प्रयोग होनेवाले शब्द के प्रति भी आपत्ति जाता सकते है...?

अगर ऐसा करते है तो इस देश के तमाम नेता लोगों की तसबीर जनता अपने दिल के पास रखेगी और उनके आदर्श पर चलेगी! यह राष्ट्र में सही स्वरुप में रामराज्य का निर्माण हो जायेगा! उन विशेषणों के बारे में इतनी अस्पृश्यता मानने की जरुरत नहीं है! अगर कोई किसी से ठाकुर साहब कह पुकारे तो देश पर कोई आपत्ति नहीं आ जाती ! इससे देश का कोई नुकसान नहीं होता है! नेता की यह सोच भी उसकी अपरिपक्वता दिखलाती है!

यह बिलकुल ही संभव नहीं! क्षत्रिय राजा ने कभी सूर्योदय से पहले और सूर्योदय के बाद आक्रमण नहीं किया है! इन्होने तो बाबा रामदेव के साथ रात के वक्त जो व्यवहार किया है वह निंदा के पात्र है!

ठाकुर जयपालसिंह गिरासे

श्री क्षत्रिय वीर ज्योति मिशन