पूर्व सेना प्रमुख जनरल वी .के सिंह जी का देश के युवाओ से एक अपील...

(न्यूज) 
देश के वर्तमान हालात पर कटाक्ष करते हुए पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वी.के.सिंह ने कहा कि व्यवस्था का...ले अजगर की तरह है और हम इसे दूध पिला रहे हैं !


जनरल सिंह ने कहा कि हमारा देश युवा है ! युवाओं की आबादी 71 फीसदी के लगभग है !जिस तरह पतझड़के बाद वसंत आता है और पेड़ों पर नई कोंपले फूटती हैं, उसी तरह जब तक युवा आगे नहीं आएंगे, पुराने लोग नहीं जाएंगे
अत: युवा आगे बढ़कर देश के लिए काम करें !अब प्रजातंत्र संविधान से हटकर दिखाई दे रहा है ! संविधान 'बी द पीपल' के लिए बना था, लेकिन अब संविधान का बीज पीपल खो गया है
उसे वापस लाना होगा !

उन्होंने कहा कि हम चिंतन करते रहेंगे और देश पीछे खिसकता रहेगा ! ऐसा नहीं होना चाहिए !ऐसा न हो कि देश की बोली लगने लगे !सिंह ने कहा कि सबके भीतर 'देश सर्वोपरि' की भावना होनी चाहिए ! जब सबके भीतर यह भावना होगी तभी हम देश को आगे बढ़ा पाएंगे !देश की आंतरिक स्थिति पर जनरल सिंह ने कहा कि इतिहास गवाह है, जब भी हमारा पतन हुआ या विदेशी आक्रांताओं को सफलता मिली वह सिर्फ हमारी वजह से और हमारे लोगों की मदद के कारण ही मिली ! हमें सोचना होगा कि आज हमारी स्थिति क्या है ? यह सोच-विचार का समय है !

कवि की पंक्तियों को उद्धृत करते हुए कहा- वी.के. सिंह जी ने....

'व्यवस्था काले अजगर की तरह है,

हम उसे दूध पिला रहे हैं,

समूचे राष्ट्र को कैंसर हो गया है,

हम टाइफाइड की दवाई देरहे हैं !

उन्होंने कहा कि सबको डॉक्टर बनना होगा और देश को बीमारी से उबारना होगा !जनरल सिंह ने कहा देश में भ्रष्टाचार और सामाजिक असामनता सबसे बड़ी समस्या है ! इसे दूर करने की जरूरत है ! उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में तत्कालीन गृहमंत्री ने कहा था कि नक्सली इलाकों में सेना तैनात करनी चाहिए तब मैंने कहा कि यह आपका मामला है ! इसे आपको सुलझाना चाहिए !उन्होंने कहा कि 1990 में 50 जिलों में नक्सलवाद की समस्या थी, लेकिन अब 272 से ज्यादा जिले नक्सलवाद की गिरफ्त में हैं ! उन्होंने कहा कि इन जिलों की स्थिति वैसी ही है, जैसी 200 साल पहले थी
ऐसी स्थिति में क्या हम उम्मीद कर सकते हैं कि वहां के लोग देश के साथ चलेंगे ??

जनरल सिंह ने कहा कि हम लेंगे तभी देश की विकृतियां और कुरीतियां दूर होंगी .......जिस दिन हम संकल्प के साथ काम करेंगे, सभी चीजें ठीक हो जाएंगी ! उन्होंने कहा कि 'सपने शायद सच नहीं होते, लेकिन संकल्प कभी अधूरे नहीं रहते' ....! बकौल वी.के.सिंह "इस भ्रष्ट सरकार के खिलाफ जितना मुखर विरोध मैंने अब शुरू किया है अगर ये शुरुवात जनरल पद पर रहते हुए किया होता इण्डिया गेट पर लाठियों से पीता नहीं जाता बल्कि इन देश के लुटेरों को संसद में लाठियों से पिटवाता ! अपने इस भूल पर मुझे जिंदगी भर अफ़सोस रहेगा....

लेकिन देर से ही सही शुरुवात मैंने कर दी है अब इस लडाई को देश के युवा आगे बढ़ाएं.....................!



जय हिन्द, जय भारत !!

"पूज्यमा की अर्चना का मै एक छोटा उपकरण हु ........!

"पूज्यमा की अर्चना का मै एक छोटा उपकरण हु ........!


चाहता हु ये मातृभू ...तुझे कुछ और भी दू .......!"

मेरे परिचय के और साथ में काम करनेवाले ऐसे कई अनगिनत समाजसेवी है ; जो स्वयंप्रकाशित होकर भी विनयशील है! ....जो दधिची के भांति अपनी निष्काम अहर्निश सेवा का कार्य कर रहे है ! ......जिनमे किसी स्वार्थ का संचार नहीं होता है और न ही रहता है कोई पुब्लिसिटी स्टंट .....जिनके कभी डिजिटल बोर्ड नहीं लगते है ; न ही किसी अखबार में उनकी तस्बीरे झलकती है .....न ही किसी मंच पर जा कर ये शोभा बढ़ाते है ......! वे किसी जातिगत ;दलगत, प्रांतीय या पंथिय जैसे संकीर्ण विचारधारा के लिए नहीं अपितु राष्ट्र-निर्माण के महान कार्य में अपने आप को नीव का पत्थर बना रहे है। जो व्यक्तिपूजा से दूर रहकर विचारधारा के प्रति अपनी निष्ठां रखते है। उनके रग -रग में भारतीयता की और स्वधर्म निष्ठां की झलक मिलती है .....ह्रदय में उन्नत मानवता के संचार का साक्षात्कार मिलता है। जिंदगी के मोड़ पर कई महान ;शक्तिशाली हस्तियोंकि मुलाकात भी हुई ... अपने कर्म से और धर्म से उन हस्तियों का मन भी जित लिया ......कुछ मांगते तो बहुत कुछ पा भी लेते .....लेकिन कुछ माँगा ही नहीं ....! क्यों मांगे? हमें तो जन-मन में इश्वर का अहसास सदैव होता रहता है .......हमारी कर्मनिष्ठता को देख इश्वर सदैव मुस्कुराता नजर आता है .......अगर कुछ मांगना पड़ा भी तो केवल उस महान प्रभु से उस शक्ति का आवाहन होगा जो इस शरिर ---मन में फिर से उमंग का निर्माण करे जो नीड़ के निर्माण में काम आये।

श्री शिवदास मिटकरी (लातूर) व् निरंजन काले (पुणे) जो स्वयं उच्च विद्याविभुषित होकर भी घरसे कई साल बाहर रहकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के प्रचार एवं प्रसार के लिए जुट गए थे। जिनके सानिध्य में ही मेरी वकृत्व कला का विकास हुवा।

श्री चैतराम पवार (बारीपाडा) जो आदिवासी समाज और आदिवासी गाव का युवा .....जिसने अपनी कर्मनिष्ठा से अपने गाव का चेहरा बदल दिया। जो गाव श्री अन्ना हजारे जी के रालेगन सिद्धि जैसा स्वयंपूर्ण तथा स्वावलंबी आदर्श गाव जाना जा रहा है।

जिस साथी के साथ कार्य का आरम्भ किया था .....जो बचपन से यौवन तक के सफ़र का हमसफ़र रहा .....वह सदाशिव चव्हाण(मालपुर) आज माय होम इंडिया जैसे स्वयंसेवी प्रकल्प के माध्यम से पूर्वांचल के युवाओं को जोड़ने का .....उन्हें राष्ट्रीय प्रवाह में लेन का कार्य कर रहा है। जो युवा राष्ट्र के मूल धरा से दूर जा रहे थे .....उन्हें फिरसे प्रवाह में लेन का महान कार्य कर रहा है।

श्री विनोद पंडित जो राजस्थान के रनवास नाम के छोटे से गाव के रहनेवाले है .....गरीब ब्राह्मण है फिर भी नए लोगों को जोड़ने का .....महान कार्य कर रहे है। राजस्थान के ज्यादातर संस्थानिक उन्हें निजी रूप से जानते भी है और सन्मान भी देते है ......जो गाव-गाव में जाकर एकता के मंत्र की मंत्रणा कर रहे है। वे उस राष्ट्रीय भाव को बढ़ावा दे रहे है जो आजकल लोग भूलते जा रहे है।

श्री प्रशांत पवार (मालपुर) जी ने गौ माता को बचाने के लिए गोशाला शुरू कर निष्काम सेवा का मार्ग दिखाया। वही हमारे साथी हेमराज राजपूत जो सेवाव्रत के माध्यम से अपने सामाजिक उत्तरदायित्व को बखूबी निभा रहे है।

आदरणीय प्रा .डॉ .मधुकर पांडे (नाशिक) ,प्रा .प्रकाशजी पाठक (धुले) और श्री मदनलालजी मिश्र (धुले) हमारे पथ प्रेरक रहे है। उनके साथ बिताये हर एक पल ने हम सबको कई बाते सिखाई।

आदरणीय श्री कांतिलाल टाटिया (शहादा) जी के आदिवासी क्षेत्र के अहर्निश कार्य ने कई बार प्रेरणा भी दी।

हमने भी अध्यापक का पेशा अपनाकर आदिवासी क्षेत्र को अपना कार्यस्थल चुना। जिस क्षेत्र में राष्ट्रीय जीवन की विचारधारा का फैलाव हो ......अच्छी शिक्षा का प्रसार हो .......देशभक्त नागरिकोंका निर्माण हो। विवेकानंद केंद्र के माध्यम से भी कई आयामों का आरम्भ हो चूका है।

मातृभूमि की सेवा ही हमारा लक्ष्य हो .......आओ हम भी जहा है वही से समर्थ भारत के निर्माण का कार्यारम्भ करे। जिस चीज में इश्वर का वास होता है वह कभी नश्वर नहीं होती है। आपका कार्य अगर नेक हो तो उसे सफलता जरुर मिलेगी। इदं न ममं .....जैसी भावना ही उस कार्य को श्रेष्ठ बनाएगी।

क्या किसी गुनहगार को कोई जाती या मजहब होता है ....?



मानव और दानव में फर्क होता है। जो अन्य मानव;पशु-पक्षी-जिव-जंतु तथा प्रकृति के साथ मानवता से व्यवहार करे वही मानव कहलाने का अधिकारी है ....! और जो इस मर्यादा का उल्लंघन करता है वह होता है दानव। दानव का कोई धर्म ;पंथ; प्रान्त या जाती नहीं होती है। दानव हर जगह पनपते है और अपने कुकर्मों से समाज को तकलीफ देते है। दानवों के प्रति हमें कोई भी सहानुभूति नहीं चाहिए।



हाल ही में राजधानी दिल्ली में जो शर्मनाक घटना हुई वह हैवानियत की हद को पार करनेवाली करतूत थी। उन दरिंदो को कड़ी से कड़ी सजा सुनानी चाहिए और तुरंत उसपर अमल हो ताकि कोई भी माई का लाल आगे ऐसी जुर्रत न करे। साथ सभी समाज के लोग आगे आकर माँ-बहनों की सुरक्षा के हेतु यथोचित कदम भी बढ़ाये।



दरिंदगी करनेवाले हैवानों की कोई जात या मजहब नहीं होता है। किसी माँ का एक बेटा संत तो दूसरा खलनायक भी हो सकता है। कुसंस्कारों की वजह से ऐसी दरिंदगी का निर्माण होता है। उन दरिंदों में से एक दरिंदा अक्षय ठाकुर जो बिहार से है। हमें दु :ख होता है की वह जिस कौम से है उस कौम के लोग कभी महिलाओं की रक्षा हेतु अपने प्राणों तक को न्योछावर कर देते थे। महिलाओं की रक्षा के लिए जंग भी होती थी और प्राणोत्सर्ग भी किया जाता था। जो कौम स्री को शक्ति का रूप मानकर पूजा करती आयी है आज उसी कौम से पहचान पानेवाले उस नादाँ अक्षय ने अपनी बर्बरता से शर्म से सर निचा कर दिया। हम उसकी इस घिनौनी करतूत का कड़े शब्दों के साथ निंदा करते है और सरकार से मांग भी करते है की उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जाये। देश और दुनिया का समस्त क्षत्रिय समाज इस घटना की कड़ी आलोचना करता है।



आज ही पंजाब से हर्षवीर सिंह पंवार जी का फ़ोन आया ....उन्होंने हमें दी हिन्दू अखबार के खबर बारे में बताया। "दी हिन्दू " नामक अखबार में हमने उस खबर का जायजा लिया। जिस खबर में अक्षय का वर्णन करते हुए उसकी जाती का भी उल्लेख किया है। किसी गुनाहगार की जाती का या मजहब का वार्ता में उल्लेख करना अनुचित है। एक ठाकुर गलत राह पर चला गया तो उसकी कौम गलत नहीं हो सकती है। व्यक्ति गलत हो सकता है .......समाज नहीं। हमने उस पत्रिका के संपादक महोदय को तुरंत इ मेल करवा दिया है और उन्हें अवगत भी करवा दिया है। इस घटना के आधार पर किसी जाती के बारे में समाज में गलत सन्देश देने का यह प्रयास सम्बंधित पत्रकार या संपादक की जातिगत संकीर्णता का परिचय देता है।



निचे LINK पर CLICK कर आप उस खबर को पढ़ सकते है: http://www.thehindu.com/todays-paper/all-accused-in-delhi-rape-case-held/article4227692.ece

सारंगखेडा का विश्व प्रसिद्ध अश्व मेला: 'चेतक और कृष्णा' के नाम से दिए जायेंगे पुरस्कार ....!




गुजरात की सीमा से महज 100 कि .मी . के दुरी पर शहादा --धुले रोड पर महाराष्ट्र में सुर्यकन्या तापी नदी के किनारे बसा सारंगखेडा गाव जो कभी रावल परिवार की जागीर का स्थल था , अपने शानदार अश्व-मेला की वजह से विश्व-प्रसिद्ध है। प्राचीन समय से यहाँ भगवन एकमुखी दत्त जी का मंदिर है। श्री दत्त जयंती के पावन अवसर पर यहाँ बहुत ही सुंदर मेले का आयोजन होता आया है। विभिन्न नस्लों के घोड़ों के लिए यह मेला दुनिया भर में मशहूर है। प्राचीन समय से भारत वर्ष के राजा-महाराजा; रथी -महारथी यहाँ अपने मन-पसंद घोड़ों की खरीद के लिए आते-जाते रहे है। आज भी देश के विभिन्न प्रान्तों से घोड़ों के व्यापारी यहाँ आते है। आनेवाली 27 दिसम्बर के दिन यात्रारंभ होगा। हर रोज लाखो श्रद्धालु भगवान दत्त जी के मंदिर में दर्शन करते है और यात्रा का आनंद भी लेते है। विभिन्न राजनेता, उद्योजक, फ़िल्मी हस्तिया यहाँ घोड़े खरीदने आते-जाते रहते है। इस साल भी अभिनेता शक्ति कपूर , लावणी सम्राज्ञी सुरेखा पुणेकर, ईशा और अभिनेत्री सोनाली कुलकर्णी यहाँ महोत्सव में उपस्थिति दर्ज करने पधार रहे है। इस मेले में कृषि प्रदर्शनी; कृषि मेला; बैल-बाजार; लोककला महोत्सव; लावणी महोत्सव तथा अश्व स्पर्धा आदि का आयोजन होता है।

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी का घोडा "चेतक" तथा छत्रपति शिवाजी महाराज जी घोड़ी "कृष्णा" इतिहास में प्रसिद्ध है। महाराणा प्रतापसिंह जी के जीवन में चेतक घोड़े का साथ महत्वपूर्ण रहा था। कृष्णा घोड़ी ने भी छत्रपति शिवाजी महाराज के संघर्ष के काल में अभूतपूर्व योगदान दिया था। चेतक और कृष्णा के नाम से इस साल सारंगखेडा मेले में पुरस्कार दिए जायेंगे। दौड़ में सर्वप्रथम आनेवाले अश्व को चेतक पुरस्कार--11000 रु की नगद राशी .- चेतक स्मृति चिन्ह और रोबीले पण में सर्वप्रथम आनेवाले अश्व को कृष्णा पुरस्कार--11000 रु . की नगद राशी --कृष्णा स्मृतिचिन्ह प्रदान किया जायेगा। इस मेले में दोंडाईचा संस्थान के कुंवर विक्रांत सिंह जी रावल जी के अश्व -विकास केंद्र के घोड़े भी मौजूद रहते है। जिनमे फैला-बेला नाम की सिर्फ 2.5 फिट ऊँची घोड़ों की प्रजाति ख़ास आकर्षण का केंद्र रहेगी। सारंगखेडा के भूतपूर्व संस्थानिक तथा वर्तमान उपाध्यक्ष (जि .प .नंदुरबार) श्री जयपालसिंह रावल साहब तथा सरपंच श्री चंद्रपालसिंह रावल के मार्गदर्शन में इस मेले की सफलता के लिए स्थानीय पदाधिकारीगन प्रयत्नरत है।

इस अभूतपूर्व अश्व मेले के बारे में अधिक जानकारी के लिए क्लिक करे:



दिमागी संतुलन को बनाये रखे।



पर्यावरण का असंतुलित होता चक्र आज-कल इंसान के भी दिमागी पर्यावरण को घातक साबित होता नजर आ रहा है ......... और ऐसे प्रदूषित दिमाग से प्रदूषित कल्पनाये भी पैदा होकर दुनिया में अपना रंग दिखाने एवं बिखेरनी लगी है .........जैसे हाल ही में जो अमीर बने है वह फुले नहीं समां रहे है वैसे ही कुछ तत्व किसी छुट-फुट दल या संघटन के पद को पाकर हवा में उड़ने लगे है। उन्हें देख हमें उस मानसरोवर के शुभ्र-धवल हंस और एक्क्यावन तरह की उड़ाने उडनेवाले कौवे की कहानी भी याद आ जाती है। किसी सड़क या चौक में डिजिटल फ्लेक्स लगवाना या अख़बारों में छाये रहने की कवायद करना ही कुछ लोगों की जिंदगी का अहम् पैलू हो जाता है। हम उनका मुख-रस-भंग नहीं करना चाहते है फिर भी उनके आत्म-अविष्कारी पाखंड को उजागर करने से हम अपने आप को रोक नहीं पाते है।

फेसबुक पर भी कुछ अल्प-मति महोदय इतने उतावले हो जाते है की मानो औरों की अब खैर ही नहीं। कथित नशे में चूर शराबी जैसे मादकता के आनंद -सागर में गोते लगता है ......वैसे ही ये अल्प-मति महाशय अपने बाल-सुलभ विचारोंकी एवं कल्पनाओं की दुनिया में डूबकिया लगाते रहते है।

कही से भी प्रकाशित या प्रदर्शित विचारोंको चुराकर समाज-उद्धारक के रूप में पोस्ट करना तो कोई इनसे ही सीखे। उनकी नजर में तो सारे राजनितिक दल और नेता तो चोर ही है। और दुनिया में अगर कोई सत्यवादी बचे है तो सिर्फ ये ही महाशय है। लगता है जब दुनिया डूब रही थी तो नोवा की नौका में सिर्फ उन्हीके आदी-पुरुष बच पाए हो। और अब उन आदि-पुरुषों के ये चाणाक्ष वंशज दुनिया में क्रांति की पहल कर रहे है। लेकिन अगर कोई बन्दर शराब का एक घूँट पि ले तो उसकी मर्कट लीला आरम्भ हो जाती है ....वैसे ही ये सज्जन अपनी शब्द-लीला का परिचय देने लगते है। कभी-कभी मदहोशी में ये महोदय आपे के बाहर भी हो जाते है तब उन्हें रोक पाना एक मुश्किल घडी बन जाती है।

उनकी राजनितिक और जातिगत भावनाए इतनी तीव्र हो जाती है की कही ये साक्षात् ब्रह्म देव को न पूछ बैठे की अन्य लोग इस धरती पर क्यों है ? हमें कभी-कभी ऐसी आशंका भी सताने लगती है। कभी एक महोदय ने ऐसी ही टिपण्णी की थी की ,"जो अपनी जात का न हुवा वह अपने बाप का नहीं।" .....हम काफी देर तक उस की ऐसी हरकत पर हसते रहे। उसका उद्देश क्या था उसका अर्थ हमारा अंतर्मन नहीं लगा सका लेकिन हम उस निष्कर्ष तक पहुचने में कामयाब हो गए की ...उस महाशय ने उस दिन एक-दो घूँट ज्यादा ही उतार लिए होगे। वह चाहता था की फेसबुक पर जाती के बजाय  अन्य कोई बात ही ना हो। अज्ञान के अन्धकार में अंधे बनकर दिशा टटोलने का वृथा कष्ट करनेवाले उस बालक की वैचारिक क्षमता पर हमें तरस आया। और हम ने उसे समझाया भी की भाई, "क्षत्रिय केवल एक जाती-विशेष नहीं जो सिर्फ अपनी ही सोचे .....बल्कि ये एक महान व्रत है जो अपने साथ-साथ इस सृष्टि एवं चराचर का भी कल्याण सोचती है।" किसी क्षत्रिय शब्द पर बल देनेवाली सभा का एक सदस्य जिसे क्षत्रिय का अर्थ पता नहीं था और वह क्षत्रिय की बात बड़े ही आक्रमकता के साथ कर रहा था। हमने उस कथित जिज्ञासु की जिज्ञासा का हल निकलने के लिए उन्हें श्री क्षत्रिय वीर ज्योति के मंथन शिबिर में या श्री क्षत्रिय युवक संघ के किसी शिबिर में उपस्थित रहने का निमंत्रण भी दिया लेकिन अपने अहं के आत्म-तुष्टि में मग्न उस महोदय ने उस वक्त अपने भ्रमण-ध्वनी यन्त्र तक को सिमाँपरोक्ष कर के रखा।

हमारा कहने का उद्देश यह है की , सिर्फ अपनी ही परिसीमा को ही विश्व मत समझो .....हर एक नेक विचार का स्वागत करो .....और अपने आप को अगर एक महान विरासत का वंशज मानते हो तो हमें अपनी मर्यादा का उचित ख्याल भी रहे तो अच्छा होगा। हमारी भाषा-व्यवहार-आचरण से ही हमारी संस्कृति महान बनती है और विश्व के आदर के पात्र बनती है। उसे ठेंच न पहुचे। बोलने के बाद सोचने से बेहतर है की सोच कर बोलो। अपने आप को उतावले होकर आपे से बाहर मत करो। हम मध्य-युग में नहीं बल्कि वर्तमान युग में जी रहे है।

वरण गाव (जि .जलगाव ,महाराष्ट्र) के निवासी .......वारकरी संप्रदाय द्वारा दीक्षा प्राप्त बाल अनुरागी ......बाल कीर्तनकार ......जिनकी उम्र केवल 15 साल है  ......जिनकी वाणी से हजारो लोग प्रभावित होकर भजन-सुमिरन और कीर्तन के माध्यम से भक्तिरस  का  आनंद लेने लगे ......संत मीराबाई- संत ज्ञानेश्वर ---संत तुकाराम महाराज के चरित्र से प्रेरणा लेकर --अपने गुरु के मार्गदर्शन के अनुसार ज्ञान प्राप्त कर अब समाज के प्रबोधन एवं भक्ति मार्ग के प्रचार के कार्य में जुट गए -----ह .भ .प .अमरसिंह महाराज राउल जी का कीर्तन हाल ही में हमारे गाव वाठोडा में सम्पन्न हुवा! 


क्या राष्ट्र गौरव के सम्मान की चिंता सिर्फ राजपूत समुदाय को ही करनी चाहिए ?


By - Ratan Singh Bhagatpura
दिल्ली के बादशाह अकबर के साथ अपने स्वातंत्र्य संघर्ष के दौरान महाराणा प्रताप को चितौड़गढ़ छोड़कर वर्षों तक जंगलों व पहाड़ों में विस...्थापित जीवन जीना पड़ा!
उनके उसी संघर्ष से आजादी की प्रेरणा लेकर भारत के लोगों ने अंग्रेज सत्ता से मुक्ति पाई!
आज भी महाराणा प्रताप राष्ट्र में स्वाधीनता के प्रेरणा श्रोत व राष्ट्र नायक माने जाते है!
स्वाधीनता संघर्ष के लिए जब भी किसी वक्ता को कोई उदाहरण देना होता है तब राष्ट्र नायक महाराणा प्रताप का नाम सर्वोपरि लिया जाता है!
देश की राजधानी दिल्ली में इस राष्ट्र गौरव को सम्मान देने व उनकी स्मृति बनाये रखने हेतु कश्मीर गेट स्थित अंतर्राज्य बस अड्डे का नामकरण महाराणा प्रताप के नाम पर किया गया!
साथ ही अंतर्राज्य बस अड्डे के साथ लगे कुदसिया पार्क में महाराणा की एक विशाल प्रतिमा स्थापित की गई! जो उधर से आते जाते हर व्यक्ति को दिखाई देती थी! पर कश्मीरी गेट के पास बन रहे मेट्रो रेल के निर्माण के बीच में आने की वजह से उस मेट्रो रेल ने जिसने एक खास समुदाय की भावनाओं का ख्याल रखते हुए अपना निर्धारित रेल लाइन का रूट तक बदल दिया था---- ने महाराणा प्रताप की इस प्रतिमा को उखाड़ कर एक कोने में रख विस्थापित कर दिया जिसे राजस्थान व देश के अन्य भागों के कुछ राजपूत संगठनों व दिल्ली के ही एक विधायक के विरोध करने के बाद मूल जगह से दूर कुदसिया पार्क में अस्थाई चबूतरा बनाकर अस्थाई तौर पर स्थापित किया!
पर आज प्रतिमा को हटाये कई वर्ष होने के बावजूद मेट्रो रेल प्रशासन ने इस प्रतिमा को सम्मान के साथ वापस लगाने की जहमत नहीं उठाई...................!
जबकि मेरी एक आर.टी.आई. के जबाब में मेट्रो रेल ने प्रतिमा वापस लगाने की जिम्मेदारी भी लिखित में स्वीकार की है साथ ही निर्माण पूरा होने के बाद प्रतिमा सही जगह वापस स्थापित करने का वायदा भी किया पर इस कार्य के लिए मेरे द्वारा पूछी गई समय सीमा का गोलमाल उतर दिया.........!
शहर के विकास कार्यों के बीच में आने के चलते प्रतिमा हटाने में किसी को कोई आपत्ति नहीं पर उसे वापस समय पर न लगाना चिंता का विषय तो है ही साथ ही राष्ट्र गौरव के प्रतीक महाराणा प्रताप का अपमान भी है.....!.
पर अफ़सोस राष्ट्र गौरव के प्रतीक के अपमान के खिलाफ देश के कुछ राजपूत संगठनों के अलावा किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई......!
अपने आपको राष्ट्रवादी कह प्रचारित करने वाले संगठन भी इस मुद्दे पर मौन है.....!
लज्जाजनक बात तो यह है राष्ट्रवाद का दम भरने व अपने कार्यक्रमों में महाराणा प्रताप के चित्रों का इस्तेमाल करने वाली भाजपा जो दिल्ली के स्थानीय निकाय दिल्ली नगर निगम में काबिज है और जो इस प्रतिमा के लिए उपयुक्त जगह का इंतजाम कर सकती है एकदम निष्क्रिय है......!
क्या भाजपा व राष्ट्रवादी संगठन सिर्फ अपने कार्यक्रमों में महाराणा का चित्र लगाकर और उनकी वीरता का बखान करने तक ही सीमित है ?
क्या राष्ट्र गौरव के सम्मान की चिंता सिर्फ राजपूत समुदाय को ही करनी चाहिए ?
क्या महाराणा की प्रतिमा को मेट्रो रेल की सुविधानुसार व उसकी मर्जी से पुन: स्थापित करने तक उसे कुदसिया पार्क में विस्थापित स्थित में ही छोड़ देना चाहिए ?

श्री क्षत्रिय वीर ज्योति का पंचम मंथन शिविर (हमीरगढ़ ) संपन्न



श्री क्षत्रिय वीर ज्योति के पंचम मंथन शिविर का आयोजन दिनांक 17/11/2012 से 18/11/2012 तक प्रातः स्मरणीय स्वतंत्रता के दीवाने महाराणा प्रताप की मेवाड़ धरा के हमीरगढ़ (भीलवाड़ा) में किया गया था ! मंथन शिविर हमीरगढ़ के पहाड़ी में स्थित रमणीय स्थल इको पार्क में "मंशा महादेव" मन्दिर के प्रांगन में दिनांक 17/11/2012 को समय क़रीब 03.00 बजे शाम प्रारंभ हुआ !श्री क्षत्रिय वीर ज्योति के अध्यक्ष वासुदेव भगवन श्री कृष्ण की मंगलिक मंत्रोच्चारन के साथ उपासना के उपरांत कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए सर्व‌-‌-प्रथम श्री क्षत्रिय वीर ज्योति के संस्थापक सदस्य एवं आधारस्तंभ ठाकुर साहब जयपालसिंह गिरासे,शिरपुर (शिशोदिया) ने श्री क्षत्रिय वीर ज्योति की प्रस्तावना उपस्थित क्षत्रिय एवं क्षत्रानियो के समक्ष रखी ! इसके बाद प्रमुख मार्गदर्शक कुँवर राजेंद्र सिंह नरुका (बसेट) ने क्षत्रिय वीर ज्योति के लक्ष्य एवं उसे हासिल करने के लिए आगामी 46 वर्षों का कार्य-क्रम क्रमवार विस्तार से बताया ! मिशन के लिए धन एवं साधनों के स्रोत्रो पर भी विस्तार से बताया गया ! गुजरात से पधारे श्री मुक्तेश सिंह जी मन्हार ने पिछले 4 वर्षों तक के संस्थान के द्वारा लक्ष्य की दिशा में तय की गयी दूरी एवं क्रियाकलापों के बारे में बताया !गुजरात से ही पधारे श्री जयदीप सिंहजी झाला ने श्री क्षत्रिय वीर ज्योति के मिशन में अपने द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बताया ! संस्थान के संस्थापन में अग्रणी भूमिका निभाने एवं मध्य-भारत में क्षत्रिय धर्म जागरण रत श्री डॉक्टर साहब प्रल्हादसिंहजी सिकरवार(गुना) ने आज के परिवेश में क्षत्रिय वीर ज्योति के मिशन की अवश्यकता के बारे में बताया ! इसके बाद मंथन शिविर में उपस्थित सभी बंधुओं से अपने-अपने विचार व्यक्त करने को कहा गया !सभी उपस्थित क्षत्रिय बंधुओं ने अपना पूर्ण सहयोग श्री क्षत्रिय वीर ज्योति को प्रदान कराने का वायदा किया ! अपनी शंकाओं को प्रकट किया जिनका समाधान संस्थान की ओर से किया गया ! इस मंथन शिविर में आदरणीय राजाधिराज हेमेन्द्रसिंहजी बनेरा (पूर्व-सांसद ) सहित राजस्थान ,एम.पी.,गुजरात, महांराष्ट्र ,दिल्ली,उ.प्र. से कार्यकर्ताओ ने भाग लिया !शिविर के मेजबान रावतसाहब श्रीमंत युगप्रदीपसिंहजी हमीरगढ़ थे ! मंथन शिविर में राजाधिराज हेमेन्द्रसिंहजी बनेरा ने इस मिशन को क्षत्रिय धर्म पुनर्स्थापना के लिए अत्यन्त आवश्यक बताया और अपना पूर्ण सहयोग देने का आश्वासन दिया ,साथ ही वर्तमान सभी प्रकार के राजपुत राजनेताओ से सावधान रहने की सलाह दी ! उद्योजक श्री कुलदीपसिंहजी श्यामपूरा ने भी अपना सहयोग देने का वायदा किया ! मेजबान रावत साहब हमीरगढ़ (श्री युगप्रदीपसिंह जी ) ने सभी का यहा पधारने का आभार व्यक्त किया एवं अपने संगठन जय राजपूताना युवा सेवा संसथान की ओर से इस मिशन के लक्ष्य हेतु पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया ! क्षत्रिय धर्म की पुनर्स्थापना में क्षत्रनियो की भूमिका क्या है, और किस प्रकार आज क्षत्रनियो को इस दूषित होते वातावरण से बचाया जाए ,इस पर कुंवरानी साहिबा निशाकँवरजी ने सभी को विस्तार से समझाया ! इसके बाद सायंकाल श्री चामुंडा भवानी माताजी के मन्दिर में दर्शन किए गए ! रात्रि हमीरगढ़ राजमहल में 08.00 बजे से 12.00 बजे तक पुनः शंका समाधान का दौर हुआ ! इस सत्र में इतिहास, धर्म, रामायण---महाभारत---गीता आदि गहन विषयोंपर भी महत्वपूर्ण चर्चा की गयी। इसके बाद दिनांक 18/11/2012 प्रातः 09.30 बजे सभी श्री क्षत्रिय युवक संघ के बालिका शिविर में देवली गाव के पास ....बनास नदी के किनारे थला माता के मंदिर बिलिया ,खरदा गए एवं ठाकुर जयपालसिंहजी गिरासे (शिशोदिया),रावतसाहब श्रीमंत युगप्रदीपसिंहजी हमीरगढ़ ,डॉक्टर साहब प्रह्लाद सिंहजी गुना एवं कुँवर राजेंद्र सिंह जी नरुका ने विस्तार से बालिकाओं एवं वहा उपस्थित सभी क्षत्रिय एवं क्षत्रनियो को क्षत्रिय धर्म एवं श्री क्षत्रिय वीर ज्योति मिशन के बारे में समझाया ! इसके बाद सायंकाल 03.00 बजे शिविर समापन हुआ एवं सभी ने भाव भीनी विदाई ली ! मेजबान रावतसाहब युग्प्रदिपसिंह हमीरगढ़ ; श्रीमान हर्षप्रदिपसिंहजी हमीरगढ़  का मृदुल एवं मिलनसार व्यवहार प्रशंसनीय रहा !इस मंथन शिविर में भंवर रविराज सिंह मेडी ;युवा नवोदित व्यवसायी कुँवर हेमेन्द्र सिंह जी तंवर (दीपावास) भी उपस्थित रहे ! भँवर् कुश (11 वर्षीय) एवं भँवर बाईसा उत्तम कँवर(13 वर्षीय) ने भी मंथन शिविर में पूरा भाग लिया ! इस मंथन शिविर में जो मुख्य निर्णय हुए वे निम्न प्रकार है :‌-1)अगला मंथन शिविर मध्य प्रदेश में गुना में मार्च 2012 में आयोजित होगा !इसके आयोजक डॉक्टर साहब प्रह्लाद सिंह जी सिकरवार होंगे !2) सन् 2014 तक इस क्षत्रिय वीर ज्योति मिशन में कुल 10000 सक्रिय सदस्य बनाने है !3) अगले मंथन शिविर में तय किया जायेगा कि सदस्यों से सदस्यता शुल्क कब से लेना शुरू किया जाएँ !4)श्री क्षत्रिय वीर ज्योति के मिशन की जानकारी के लिए "क्षत्रिय संसद" ब्लॉग को नियमित किया जाएँ! और ज्ञान दर्पण ,राजपूत वर्ल्ड , पर भी लगातार इसकी जानकारी उपलब्ध करवायी जायेगी !5) पति के साथ चिता में बैठकर स्वर्ग गमन करने वाली क्षत्रनियो से ज्यादा वे क्षत्रनियो महान मानी जाएँ जो विधवा रहकर अपने पति के परिवार का सहारा बनती है ! और उनके पति के लक्ष्य में अपना पूरा जीवन समर्पित करती है! अतः विधवा क्षत्रनियो को तपस्विनी और देवी का रूप मानकर उनका भरपुर सम्मान किया जाये ! 6)क्षत्रिय युवक संघ के दोनों घटकों से दंपती शिविर के जरिये क्षत्रिय वीर ज्योति के स्थापित होने वाले गुरुकुलों के लिए क्षत्रिय एवं क्षत्रनियो के संस्कारित परिवारों को चिह्नित कराने का निवेदन किया जायेगा ! "जय क्षात्र-धर्म" !!!



प्रचार प्रमुख



श्री क्षत्रिय वीर ज्योति

हमीरगढ़ में राजपूताना युवा सेवा संस्थान द्वारा वार्षिकोत्सव का सफल आयोजन.....!

श्री राजपुताना युवा सेवा संस्थान द्वारा हमीरगढ़ (जी.भीलवाडा,राजस्थान) में ता.२८ अक्टूबर के दिन दूसरा वार्षिकोत्सव दिवस मनाया गया! इस अवसर पर क्षत्रिय महाकुम्भ का सफल आयोजन किया गया था! हमीरगढ़ की पवित्र भूमि पर बड़े ही उत्साह से क्षत्रिय महाकुम्भ में सम्मिलित होने के लिए मेवाड़, मारवाड़,शेखावाटी, हाडोती सहित देश के कोने-कोने से सक्रिय क्षत्रिय कार्यकर्ता उपस्थित रहे!  विशाल शामियाने में रणवाद्यों के साथ  आनेवाले अतिथियों का स्वागत किया जा रहा था!  समारोह के शुरुवात माँ अम्बा भवानी  , वीरशिरोमणि महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पूजन से हुई! माँ भवानी की सामूहिक आरती कर शक्ति की उपासना की गयी! राजपुताना युवा सेवा संस्थान के द्वारा और हमीरगढ़ के रावत श्री युग्प्रदिप सिंहजी द्वारा उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया गया! समारोह की अध्यक्षता मंडलगढ़ के विधायक श्री प्रदीप कुमार सिंह  सिंगरौली ने की!  मुख्य अतिथि श्री लोकेन्द्रसिंह कालवी (शीर्ष संस्थापक: श्री राजपूत करणी सेना) ने इस अवसर पर मार्गदर्शन करते कहा की , शिक्षा ही अब समाज का विकास कर सकती है! आज इस समारोह से संकल्प लेकर नशामुक्ति; स्री-भ्रूण हत्या; दहेज़ प्रथा का त्याग कर शिक्षा के प्रति नवयुवकों को बढ़ावा दे ! राजनीती की दीवारे गिराकर समाज के लिए हमें एक ही मंच पर आना चाहिए.....उन्होंने यह भी कहा की अब सर गिराने की नहीं अपितु सर गिनाने की सक्त जरुरत है! लोकतंत्र में मजबूत समाज-शक्ति का निर्माण ही राष्ट्र को सही दिशा दे सकता है!  सिरोही संस्थान के भूतपूर्व महाराजा श्री रघुवीरसिंह जी ने इतिहास के प्रेरक प्रसंग बताकर उपस्थित कार्यकर्ताओं को क्षात्र-धर्म के पुनर्जागरण का आवाहन किया! जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष श्री राज ऋषि उम्मेदसिंह जी धौली ने मेवाड़ी भाषा में भाषण कर उपस्थित लोगोंका दिल जीता! उन्होंने आज के युवाओं से समाज के लिए समर्पित होने की आवश्यकता जताई! ठाकुर श्री मनोहरसिंह जी कृष्णावत ने समाज कार्य के लिए हर एक घर से नई पीढ़ी को प्रेरणा मिले और आगे आये तब ही हम गति से आगे बढ़ेंगे.....अपने आवेश से उन्होंने सभी को प्रेरित किया! इस समारोह का खास आकर्षण रहा कुमारी धनश्री चौहान का अभिभाषण....! अपनी मृदु वाणी से ...वीररस युक्त काव्य-पंक्तिओं के सहारे....स्री-भ्रूण हत्या, दहेज़, नशापानी आदि कुरीतिओं पर प्रकाश डालकर समाज का प्रबोधन किया.....साथ ही नारी-शक्ति को समाज में परिवर्तन लाने के लिए कटिबद्ध होने का आवाहन किया! श्री प्रदीप कुमार सिंह; श्री कुलदीपसिंह शामपुरा ,श्री सुरेन्द्रसिंह मोत्रास ; श्री भूपेंद्र चौहान, श्री सुरेन्द्रसिंह ; रावत श्री युग्प्रदिप सिंहजी हमीरगढ़; भा.ज.प्. के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री नाहरसिंह जोधा जी ने भी समारोह को संबोधित  किया! राजस्थान विधान सभा के पूर्व उपाध्यक्ष श्री देवेन्द्रसिंह जी बद्लियास जी के पोते श्री प्रदयुम्न सिंह बद्लियास ने संस्थान को एक लाख रुपये की राशी प्रदान की! इस अवसर पर उपस्थित युवा वर्ग ने उत्स्फूर्त रक्तदान कर ६५ यूनिट रक्त संकलित किया! समारोह में आये सभी महानुभावों के लिए विशाल भोज का भी सुन्दर आयोजन रहा! समारोह में समाज के प्रतिभाशाली व्यक्तिओं का विशेष सन्मान किया गया! इस समारोह के लिए  मुख्य अतिथि हिज हायनेस महाराव श्री रघुवीरसिंह जी (सिरोही संस्थान), श्री राजपूत करणी सेना के शीर्ष संस्थापक- श्री ठा. लोकेन्द्रसिंह जी कालवी; राज ऋषि श्रीमान ठाकुर उम्मेदसिंह जी धौली(अध्यक्ष:जौहर स्मृति संस्थान, चित्तोड़) , समारोह के अध्यक्ष: श्रीमान सुरेन्द्रसिंह जी सिंगरौली(विधायक,मंडलगढ़ ),श्रीमान भैरूसिंह जी चौहान (पूर्व अध्यक्ष: जि.प.चित्तोड़), श्रीमान ठा. मनोहरसिंह जी कृष्णावत(भूपाल नोबल्स,उदयपुर), श्रीमान रावत युग्प्रदिप सिंघजी हमीरगढ़, श्री शक्तिसिंह जी कारोही; श्री प्रद्युम्न सिंहजी बदलियास; श्री गजराज सिंह जी हाथीपुरा; श्री.मेघसिंहजी ,श्री.भूपेंद्रसिंहजी चौहान, आगरा; विपक्ष नेता श्री कमलसिंह पुरावत, उपप्रधान श्री भोपालसिंह पुरावत; श्री नाहरसिंह जी जोधा (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष:भारतीय जनता पार्टी) ;श्री जयपालसिंह गिरासे(शिरपुर); श्री. भंवर खंगारोत रेटा (जय राजपुताना) ;श्री जसवंतसिंह बावलास; श्री इन्द्रपाल सिंह करेडा; श्री जितेन्द्रसिंह कारंगा (प्रदेक्षाध्यक्ष:श्री राजपूत करणी सेना); श्री कुलदीपसिंह श्यामपुरा; श्री नरपतसिंह, श्री मनिराज सिंह, श्री सिकरवार,श्री परमार, श्री गहलोत, श्री धनसिंह जी,श्री मंगलसिंह जी,श्री संदीपसिंह जी आदि. उपस्थित थे! बहुत ही सुन्दर तरीके से समारोह का सञ्चालन अनिताकुंवर कृष्णावत बाईसा ,उदयपुर   ने किया! इस समारोह की यशस्विता के लिए रावत श्री युगप्रदिप सिंह जी हमीरगढ़; श्री हर्षप्रदीपसिंहजी हमीरगढ़; श्री कुलदीपसिंह जी श्यामपुरा,श्री विनोद पंडित  और राजपुताना युवा सेवा संस्थान के कार्यकर्ताओ ने परिश्रम लिए! अगले वर्ष यह समारोह करेडा गाव में आयोजित करने की श्री इन्द्रपाल सिंघजी ने उदघोशना की!

समाज हित में कडुवी बात....!

किसी भाई ने आरक्षण के मसले पर तमाम समाज को एक साथ आने की और व्यवस्था के खिलाफ कड़ी जंग का ऐलान करने की बात फेसबुक पर हाल ही में कही है.....हम ने उस भाई के साथ अभी-अभी ही चर्चा की और उन्हें समझाने की कोशिश भी की! क्या रस्ते पर उतर कर सरकार या व्यवस्था से जंग का ऐलान कर यह संभव है? रस्ते पर उतर कर या लम्बा-चौड़ा भाषण देकर कोई क्रांतिकारी नहीं हो जाता है! हमारी बाते कुछ भी नहीं कर सकती है उल्टा आज की पीढ़ी के दरम्यान अराजकता का निर्माण कर सकती है और हमारी कौम की प्रतिमा राष्ट्रीय स्तर पर ख़राब कर सकती है! किसी भी प्रयास को आजकल सरकार के द्वारा कुचल दिया जाता है! समाज को भड़काकर कोई नेता भी बन जाता है या सत्ता की मंझिल तक का सफ़र भी कर लेता है और बाद में समाज को भी भूल जाता है! हालात ख़राब होते है आम आदमी के! वह कही का नहीं रहता....! किसी भी उपद्रव का पहला शिकार होता है आम आदमी.....! समाज के झंडे तले अगर किसी मोर्चा का गठन भी होता है तो उसमे हमारा नुकसान ही नुकसान होता है! जातिगत विद्वेष की भावना झेलनी पड़ती है आम आदमी को ही! या सबसे पहले कानून का शिकंजा भी आम आदमी के गले में ही फसाया जाता है! किसी पार्टी या अपने समाज के नेता को केवल दोष देकर या फिर फिर नए संघटन बना -बना कर यह कार्य संभव नहीं होगा.......!


सबसे पहले हमारे लोगों के बिच एक अदम्य विश्वास का निर्माण करना होगा !जो विश्वास उन्हें कार्यरत रहने की प्रेरणा देगा.....भिकारी लोग झगड़ते है....निर्बल और कायर लोग कटोरा लेकर किसी से उम्मीद रखते है.......अगर हम खुद को शेर मानते है तो हमें एक दुसरे की सहायता कर .....अपनी निजी आदते बदलकर.......स्वयंपूर्ण होकर फिर से आदर्श विश्व का निर्माण करना होगा......व्यवस्था को बदलने से पहले हम खुद बदले.........इस दिशा में कदम रखने के लिए कई तरीके है जो समाज को कई बार बता चूका हु.....सिर्फ राजनीती या सत्ता ही हमारा लक्ष नहीं हो सकता....सत्ता के लिए धर्म की सहायता लेनेवाले भी सत्ता पर जाकर अपना धर्म भूल जाते है......सत्ता एक विष के सामान है.....जो कलि की तरह व्यक्ति को पद्भ्रष्ट भी कर देती है ! क्या अम्बानी ने झगड़ने की बाते की थी? या आरक्षण के लिए वह रस्ते पर उतरे थे? आज अम्बानी कई लाख लोगों के घर चलते है...! अम्बानी जैसी कई हस्तिया इस देश में हर जगह हर समाज में मौजूद है.....! हमारे सामने मारवाड़ी,सिन्धी और सिख समाज के अच्छे उदाहरण है जिन्होंने सामूहिक योगदान से अपने ही हर एक भाई की सहायता कर उसे खड़ा किया है!आज इस कौम के लोग हर क्षेत्र में प्रभावशाली है ! हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए! जो आमिर है वह अपनी ही मस्ती में और शान में खोया है उसे अपने ही भूके-प्यासे भाई की तड़प नहीं दिखती! जो नेता है उसे सिर्फ अपने ही चंद रिश्तेदारोंकी फ़िक्र है......उसकी नजर में तो समाज को मारो गोली....! कोई भाई इस दिशा में कदम भी रखता है तो समाज के ही कुछ स्वार्थी तत्व उसके अहित के लिए शक्ति लगते है! क्या हम उद्योग के विश्व का निर्माण कर अपने आर्थिक हालत पर हल नहीं निकल सकते है? क्या हम शिक्षा के आधुनिक शिखर को प्राप्त कर अपने भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते है? क्या हम अपने ही निर्बल भाई का सहारा देकर उसमे फिर से स्वाभिमान से जीने की उम्मीद नहीं दे सकते है? संयुक्त कुटुंब व्यवस्था कई समस्यओंका हल है! आज वह व्यवस्था डूबने की कगार पर खड़ी है !!! हम अपने ही महान मुल्योंको भुलाने लगे है!पुना-मुंबई या दिल्ली-बेन्गालोरू की चकाचुन्ध में रहने वाले युवा आजकल अपने माँ-बाप तक को घर से बाहर निकालने लगे है....वो समाज की भलाई में क्या योगदान दे सकते है....? जो सिर्फ गाड़ी-बंगला-पार्टी और दौलत के पीछे भाग रहा हो राष्ट्र का निर्माण कैसे कर सकता है.......पैसा जरुर प्राप्त करो....लेकिन उसका विनियोग ऐसा करो की तुम्हारी आनेवाली पुश्ते उस धन-राशी का सदुपयोग करे....और न की दुरुपयोग.....! पैसा केवल साधन हो सकता है.......साध्य नहीं! जो लोग अपने आत्मविश्वास को खो बैठते है वे लोग नीड़ का निर्माण नहीं कर सकते है......जरुरी है की अपने समाज के खोये हुए आत्मविश्वास को जगाओ........फिर से भेदभाव भुलाकर उदार दिल से हमें फिर से एक ही मंच पर एक ही सूत्र में समाज को बाँधने के लिए एक होना होगा! आपसी सहयोग ....सामाजिक राशी....सामाजिक शक्तिकेंद्र का निर्माण करना होगा.....जो केंद्र अस्थिपंजर समाज को फिर से शक्तिशाली बननेकी उम्मीद देगा......और भविष्य के अंधकार में खोनेवाले हमारे भाई-बहनोंको फिर से प्रकाश की किरण दिखायेगा.....आनंद----उल्हास का निर्माण फिर से होगा! जब फेसबुक जैसे साधन हमारे पास है तो उसका विनियोग नफरत फ़ैलाने के लिए नहीं अपितु चेतना जगाने के लिए करो.....उम्मीद के निर्माण के लिए करो....एक दुसरे के मार्गदर्शन के लिए करो! ख्याल रहे की किसी की निंदा से हमारा भला नहीं हो सकता ........हम ही एक आशा की ऐसी किरण बने जिसकी रौशनी इस जगत में जगमगाए.....जो पथ-दर्शी बने जो अँधेरे को टटोल रही है!

आपका हितैषी: जयपालसिंह विक्रमसिंह गिरासे(शिरपुर)

समाज हित में एक कडुवा सच !

किसी भाई ने आरक्षण के मसले पर तमाम समाज को एक साथ आने की और व्यवस्था के खिलाफ कड़ी जंग का ऐलान करने की बात फेसबुक पर हाल ही में कही है.....हम ने उस भाई के साथ अभी-अभी ही चर्चा की और उन्हें समझाने की कोशिश भी की! क्या रस्ते पर उतर कर सरकार या व्यवस्था से जंग का ऐलान कर यह संभव है? रस्ते पर उतर कर या लम्बा-चौड़ा भाषण देकर कोई क्रांतिकारी नहीं हो जाता है! हमारी बाते कुछ भी नहीं कर सकती है उल्टा आज की पीढ़ी के दरम्यान अराजकता का निर्माण कर सकती है और हमारी कौम की प्रतिमा राष्ट्रीय स्तर पर ख़राब कर सकती है! किसी भी प्रयास को आजकल सरकार के द्वारा कुचल दिया जाता है! समाज को भड़काकर कोई नेता भी बन जाता है या सत्ता की मंझिल तक का सफ़र भी कर लेता है और बाद में समाज को भी भूल जाता है! हालात ख़राब होते है आम आदमी के! वह कही का नहीं रहता....! किसी भी उपद्रव का पहला शिकार होता है आम आदमी.....! समाज के झंडे तले अगर किसी मोर्चा का गठन भी होता है तो उसमे हमारा नुकसान ही नुकसान होता है! जातिगत विद्वेष की भावना झेलनी पड़ती है आम आदमी को ही! या सबसे पहले कानून का शिकंजा भी आम आदमी के गले में ही फसाया जाता है! किसी पार्टी या अपने समाज के नेता को केवल दोष देकर या फिर फिर नए संघटन बना -बना कर यह कार्य संभव नहीं होगा.......!


सबसे पहले हमारे लोगों के बिच एक अदम्य विश्वास का निर्माण करना होगा !जो विश्वास उन्हें कार्यरत रहने की प्रेरणा देगा.....भिकारी लोग झगड़ते है....निर्बल और कायर लोग कटोरा लेकर किसी से उम्मीद रखते है.......अगर हम खुद को शेर मानते है तो हमें एक दुसरे की सहायता कर .....अपनी निजी आदते बदलकर.......स्वयंपूर्ण होकर फिर से आदर्श विश्व का निर्माण करना होगा......व्यवस्था को बदलने से पहले हम खुद बदले.........इस दिशा में कदम रखने के लिए कई तरीके है जो समाज को कई बार बता चूका हु.....सिर्फ राजनीती या सत्ता ही हमारा लक्ष नहीं हो सकता....सत्ता के लिए धर्म की सहायता लेनेवाले भी सत्ता पर जाकर अपना धर्म भूल जाते है......सत्ता एक विष के सामान है.....जो कलि की तरह व्यक्ति को पद्भ्रष्ट भी कर देती है ! क्या अम्बानी ने झगड़ने की बाते की थी? या आरक्षण के लिए वह रस्ते पर उतरे थे? आज अम्बानी कई लाख लोगों के घर चलते है...! अम्बानी जैसी कई हस्तिया इस देश में हर जगह हर समाज में मौजूद है.....! हमारे सामने मारवाड़ी,सिन्धी और सिख समाज के अच्छे उदाहरण है जिन्होंने सामूहिक योगदान से अपने ही हर एक भाई की सहायता कर उसे खड़ा किया है!आज इस कौम के लोग हर क्षेत्र में प्रभावशाली है ! हमें उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए! जो आमिर है वह अपनी ही मस्ती में और शान में खोया है उसे अपने ही भूके-प्यासे भाई की तड़प नहीं दिखती! जो नेता है उसे सिर्फ अपने ही चंद रिश्तेदारोंकी फ़िक्र है......उसकी नजर में तो समाज को मारो गोली....! कोई भाई इस दिशा में कदम भी रखता है तो समाज के ही कुछ स्वार्थी तत्व उसके अहित के लिए शक्ति लगते है! क्या हम उद्योग के विश्व का निर्माण कर अपने आर्थिक हालत पर हल नहीं निकल सकते है? क्या हम शिक्षा के आधुनिक शिखर को प्राप्त कर अपने भविष्य का निर्माण नहीं कर सकते है? क्या हम अपने ही निर्बल भाई का सहारा देकर उसमे फिर से स्वाभिमान से जीने की उम्मीद नहीं दे सकते है? संयुक्त कुटुंब व्यवस्था कई समस्यओंका हल है! आज वह व्यवस्था डूबने की कगार पर खड़ी है !!! हम अपने ही महान मुल्योंको भुलाने लगे है!पुना-मुंबई या दिल्ली-बेन्गालोरू की चकाचुन्ध में रहने वाले युवा आजकल अपने माँ-बाप तक को घर से बाहर निकालने लगे है....वो समाज की भलाई में क्या योगदान दे सकते है....? जो सिर्फ गाड़ी-बंगला-पार्टी और दौलत के पीछे भाग रहा हो राष्ट्र का निर्माण कैसे कर सकता है.......पैसा जरुर प्राप्त करो....लेकिन उसका विनियोग ऐसा करो की तुम्हारी आनेवाली पुश्ते उस धन-राशी का सदुपयोग करे....और न की दुरुपयोग.....! पैसा केवल साधन हो सकता है.......साध्य नहीं! जो लोग अपने आत्मविश्वास को खो बैठते है वे लोग नीड़ का निर्माण नहीं कर सकते है......जरुरी है की अपने समाज के खोये हुए आत्मविश्वास को जगाओ........फिर से भेदभाव भुलाकर उदार दिल से हमें फिर से एक ही मंच पर एक ही सूत्र में समाज को बाँधने के लिए एक होना होगा! आपसी सहयोग ....सामाजिक राशी....सामाजिक शक्तिकेंद्र का निर्माण करना होगा.....जो केंद्र अस्थिपंजर समाज को फिर से शक्तिशाली बननेकी उम्मीद देगा......और भविष्य के अंधकार में खोनेवाले हमारे भाई-बहनोंको फिर से प्रकाश की किरण दिखायेगा.....आनंद----उल्हास का निर्माण फिर से होगा! जब फेसबुक जैसे साधन हमारे पास है तो उसका विनियोग नफरत फ़ैलाने के लिए नहीं अपितु चेतना जगाने के लिए करो.....उम्मीद के निर्माण के लिए करो....एक दुसरे के मार्गदर्शन के लिए करो! ख्याल रहे की किसी की निंदा से हमारा भला नहीं हो सकता ........हम ही एक आशा की ऐसी किरण बने जिसकी रौशनी इस जगत में जगमगाए.....जो पथ-दर्शी बने जो अँधेरे को टटोल रही है!

आपका हितैषी: जयपालसिंह विक्रमसिंह गिरासे(शिरपुर)

हमीरगढ़ की यादगार सफ़र.....!



         रोज की भाग-दौड़ की जिंदगी से कुछ पल या दिन अगर कही पसंदीदा जगह पर जाकर बिताने का सुनहरा अवसर मिलता हो तो ''ना'' कौन कहेगा..? लोग ''सफ़र'' के लिए जाते है.....सफ़र के मजे भी लेते है......तरीका और सोच अलग-अलग होती है ...हर सफ़र जिंदगी का एक यादगार लम्हा भी बन जाती है...! सफ़र हमें भी बेहद पसंद है और आज-तक की जिंदगी इस देश के विभिन्न जगहों पर घुमते ही बीती हुई है! लेकिन हर सफ़र का कही कोई ना कोई उद्देश जरुर रहा है! कोलेज के दिनों छात्र आन्दोलन से जुड़े रहने से ऐसे अवसर प्राप्त होते थे! अधिवेशन अगर प्रयाग में होता था तो उत्तर प्रदेश के कई धार्मिक,प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक स्थल के जरुर दर्शन हो जाते थे! देश के विभिन्न कोने में जाने के कई सुनहरे अवसर हमें इस बहाने से भी मिले! कभी छुट्टी के दिनों किसी भी पसंदीदा स्थल की यात्रा का आयोजन हो जाता था! रेल के सफ़र का मजा कुछ और ही मिलता था! केवल पचीस साल की उम्र में ही भारत के चार धाम में से दो , सप्त नदिया ,बारह में से नौ ज्योतिर्लिंग के दर्शन , सात राज्य की सफ़र हम ने पूरी कर दी थी! इतिहास में विशेष रूचि होने से और संशोधन कार्य के बहाने राजस्थान और देश के अन्य प्रान्तों की ऐतिहासिक धरोहर का सफ़र करने का मौका कई बार मिला! संघटन के कार्य --विस्तार हेतु भी कई जगह हम आज-तक पहुच पाए!


      हमीरगढ़ की यात्रा भी बड़ी सुन्दर और चिर-स्मरणीय रहेगी! शब्दों में इसका वर्णन कर इस यात्रा के अनुभव एवं आनंद को सिमित नहीं किया जा सकता ! राव श्री युगप्रदिप सिंहजी हमीरगढ़ जी और श्री विनोद पंडित जी के निमंत्रण से हम ने हमीरगढ़ की यात्रा का कार्यक्रम बनाया! साथी कुंवर अतुलसिंह, कुंवर अमितसिंह,कुवर संदीपसिंह और कुंवर विश्वजीत सिंह भी इस यात्रा में हमारे साथ शरीक हुए! इंडिका गाड़ी से हमारी यात्रा शिरपुर से दोपहर ठीक बजे से शुरू हुई ....सेंधवा,धामनोद,धार,नागदा,रतलाम,नीमच,मंदसौर से गुजरते हुए ठीक रात के बजे हम वीरभूमि चित्तोड़ पहुचे....वहा पूर्व नियोजन के अनुसार हम सबने विश्राम किया! प्रात: वीरभूमि चित्तोडगढ की प्राचीर से उगते सूर्यनारायण जी का दर्शन कर हम ने ठिकाना हमीरगढ़ की और प्रस्थान किया! महाराज सा राव श्री जी के निर्देश के अनुसार आदरणीय श्री विनोद जी हाय-वे पर हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे! उन्हें साथ लेकर हमारी गाड़ी हमीरगढ़ की और चल दी! सिसोदिया परिवार के रणबांकुरे ठाकुरों की इस पवित्र धरती को प्रणाम कर .....प्रात:स्मरणीय महाराणा प्रताप सिंहजी के तृतीय बंधू वीर श्री विरमदेव जी को कृतज्ञता की भावना से याद कर.....उन्ही के वंशजो की इस धरती को वंदन करने हम और हमारे साथी जा रहे थे.....मन में विलक्षण उल्हास और हर्ष की भावना पनप रही थी ......जैसे ही गाड़ी रफ़्तार से दौड़ रही थी हमारा मन इतिहास की गलियों में ;गौरवशाली विरासत की वादियों में खो रहा था! मध्ययुगीन काल का "भाखरौल'' ठिकाना जो महाराणा हमीर जी की याद में आज हमीरगढ़ नाम से जाना जाता है! हमीरगढ़ मेवाड़ के १६ उमराव और ३२ ठिकानों में से एक है! विरमदेव के वंशज होने से वे विरमदेवोत कहलाते है! वीर श्री विरमदेव जिन्होंने मुग़ल बादशाह अकबर के खिलाफ चल रहे स्वतंत्रता रणसंग्राम के कठिन समय में महाराणा के परिवार और वंशजो की रक्षा की थी! श्री विरमदेव जी के कंधोंपर यह जिम्मेदारी रख महाराणा शत्रु से दो हाथ कर रहे थे! विरमदेव जी के वही वंशज कई पीढ़ियों तक चित्तोड़ की किलेदारी भी निभाते रहे! सन १७६६ में भाखरौल की स्थापना हुई थी! सन १८२३ में इस कसबे का महाराणा हमीरसिंह ( द्वितीय ) के नाम से हमीरगढ़ रखा गया था ! राव धीरत सिंहजी हमीरगढ़ के संस्थापक थे! जिन्हें मेवाड़ राज्य में फासी की सजा देने का अधिकार; ८४ गावों की जागीरी(जो आखरी दौर में १२ गाव तक सिमित हो गयी थी) ; गढ़ चित्तोड़ की किलेदारी एवं क्षेत्र में सैनिकी तथा न्यायिक अधिकार बहाल किया गया था! हमीरगढ़ की जागीर में सेंकडो एकड़ जमीं अस्पताल;स्कुल;धर्मशाला,मकान;कचहरी बनाने .....खेती करने हेतु श्री राव सा ने दान में दी है! आज भी उनकी हवेलियों में दो स्कुल चल रही है! अपने निजी खर्चे से वे एक भव्य गोशाल भी बनवा रहे है! विद्वान्, गो-ब्राह्मन का सन्मान वहा नित्य होता आया है! इलाखे के कई मंदिरों को उन्होंने आश्रय भी दिया है!  वर्तमान में भी २५० प्लाट गरीब लोगों को मकान बनवाने दान में दिए गए है! आधा गाव तो उन्ही का ही है! उनके पिताश्री स्वर्गीय राव श्री मानसिंह जी ने किसी किसान को डेढ़ एकड़ जमीं दान में दे दी थी......आज राव सा को वही जमीं औद्योगिक कार्य के लिए जरुरी थी! वह किसान विनम्रता से अपनी ज़मीन लौटने को तैयार था....लेकिन अपने वचन पर अडिग रहते हुए राव साहब ने आज के बाजार भाव के अनुसार उचित मूल्य देकर वह ज़मीन फिर से स्वीकृत की! राव साहब के इस आचरण से फिर से एकबार वह महान क्षत्रिय परंपरा पुनरुज्जीवित हुई!


    आज वही गौरवशाली विरासत के रखवाले परिवार को ......श्री विरमदेव जी के वंशजो से मिलने हम जा रहे थे! जैसे ही गाव को प्रारंभ हुवा , हमारा ध्यान समाप्त हुवा और हम वास्तव में पहुंचे.....श्री विनोद जी हमें हमीरगढ़ गाव के बारे में बताते जा रहे थे.....हमारे साथी सुनते जा रहे थे....उनके हर एक शब्द को अपनी स्मृति में संरक्षित करते जा रहे थे! अब हमीरगढ़ के महलों के पास गाड़ी पहुच गयी .....प्राचीन ऐतिहासिक द्वार से हम ने अन्दर की और प्रवेश किया....महल के बाहर ही छोटे बन्ना श्री हर्षप्रदिप सिंहजी(राव श्री हमीरगढ़ जी के छोटे भाई) अपने साथियों के साथ हमारी प्रतीक्षा कर रहे थे! सुहास्य-वदन से फूलमालाए पहनाकर उन्होंने हम सबका स्वागत किया.....हमीरगढ़ ठिकाने की आतिथ्यशिलता का एक सुन्दर और शानदार दर्शन हुवा! दरिखाने में हमारी पहली बैठक हुयी.....जहा यात्रा के बारे में चर्चा हुई.....बाद में राव श्री युगप्रदिप सिंहजी का दरिखाने में आगमन हुवा..... राव श्री युग प्रदीप सिंहजी एक विलक्षण प्रभावशाली व्यक्तित्व है! पहली नजर में ही उन्हें देखकर हर कोई प्रभावित हो जाता है! ऊँचा कद, रोबदार मुछे, और किसी मल्ल की तरह शरीर...! जन्म नाम भरतसिंह था...लेकिन पिताश्री स्व.रावत मानसिंह जी के कहने पर उनका शुभ नाम युग प्रदीप सिंह रखा गया था!


    उनके साथ वार्तालाप एवं अल्पाहार का सौभाग्य प्राप्त हुवा! शिरपुर शहर एवं अन्य जगहों पर हुए विभिन्न समारोह/आन्दोलन/सामाजिक उपक्रम के बारे में उन्होंने बड़े रूचि के साथ चर्चा की! राष्ट्रीय आन्दोलन एवं संघटन की रुपरेखा के बारे में भी चर्चा हुई! राव साहब के साथ कई विषयों पर चर्चा हुई!


    राजपरिवार में जन्म लेकर.....इतनी बड़ी विरासत पाकर भी एक विलक्षण सादगी,विनयशीलता,विनम्रता की झलक हमें उनके व्यक्तित्व में मिल रही थी! इसी दौरान हमीरगढ़ ठिकानो में सम्मिलित विभिन्न गावों से वहा के ग्रामीण विवाह के निमंत्रण देने दरिखाने रहे थे ...स्वयं राव साहब उन ग्रामिनोंका विनय के साथ स्वागत कर रहे थे...उनका मुजरा ,नजराना और विवाह के निमंत्रण का स्वीकार कर रहे थे.....उन सबको नाश्ता और चाय का आग्रह भी कर रहे थे!


     आज उन्हें देर रात तक कई जगहों पर जाकर विभिन्न विवाह समारोह में सम्मिलित भी होना था! अपने खास आदमियों को निर्देश देकर हमसे विदा होकर वे चल दिए.......बाद में मनोनीत नियोजन एवं राज शिष्टाचार के अनुसार श्री विनोद जी साथ ठिकाना हमीरगढ़ की गाड़ी से माँ चामुंडा के दर्शन के लिए हम चल पड़े! गाव के बाहर जंगल में एक ऊँचे पर्वत पर बना हुवा यह ऐतिहासिक मन्दिर इस नगरी का खास आकर्षण है! श्री विनोद जी ने मंदिर के इतिहास के बारे में परिचय दिया! माँ चामुंडा के दर्शन से ह्रदय में एक पवित्र सी लहर दौड़ने का आभास हुवा! श्री विनोद ने मंदिर के पुजारी जी को हमारा परिचय दिया....उन्होंने भी मंदिर प्रशासन की और से हम सबका स्वागत किया और आशीर्वाद भी दिया! वहा से हमारा काफिला बोरडा ग्राम की और निकल पड़ा जहाँ महाराज श्री किर्तिवर्धन सिंहजी राणावत जी के विवाह के शुभ अवसर पर मनुहार की रस्म थी ! गाव के बाहर मैदान में एक विशाल पेंडोल लगा हुवा था! समारोह के यजमान एवं बोरडा का शेखावत परिवार आतिथ्य की वर्षा कर रहे थे.....! पेंडोल के एक कोने में बने मंच पर पारंपरिक एवं आधुनिक संगीत की धुन पर सुन्दर नर्तकियां अपने विलोभनीय पदन्यास से उपस्थित अतिथियोंका मनोरंजन कर रही थी.....मनुहार के प्यालो से भरे टेबल विशेष आतिथ्य कर रहे थे! जहाँ सुन्दर तरीके से रखे हुए मदिरसव के विभिन्न प्रकार इस वातावरण की गरिमा और भी बढ़ा रहे थे! रजवाड़ों के इस समारोह में भी विलक्षण विनम्रता एवं आतिथ्यशिलता हर एक चेहरे पर छाई हुई थी! जोधपुरी,जयपुरी,मेवाड़ी, मारवाड़ी पगड़िया और राजपूती पोशाख वातावरण की शोभा बढ़ा रहे थे ....चारो ओर इत्र और फूलों की खुशबु.......मधुर संगीत की धुन.... मंडरा रही थी! हमीरगढ़ राव श्री युगप्रदिप सिंहजी मंडप में उपस्थित अतिथियों से मिल रहे थे....सब से हमारा परिचय भी करवा रहे थे! जिनमे कई बड़े अफसर, राजनेता एवं विभिन्न ठिकानों के ठाकुर ,रजवाड़े थे ! उन्ही में से राजस्थान के वरिष्ठ कांग्रेस नेता , भूतपूर्व कृषि मंत्री एवं राजस्थान विधान सभा के पूर्व उपाध्यक्ष श्री देवेन्द्रसिंह जी बद्लियास जी भी थे जिन्होंने विशेष आस्था से बातचीत कर हमें और भी प्रभावित कर दिया ! महाराष्ट्र के सामाजिक रीतिरिवाजों के प्रति , समाज के प्रति विशेष आस्था से वार्तालाप कर रहे थे! वहा से श्री राव साहब अन्य जगहों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करने हम से विदा लेकर चल दिए !उन्हें अपने जागीर के गावों में होनेवाली हर एक शादी में उपस्थिति दर्ज करना जरुरी होता है! भगवन गणेश जी के आशीर्वाद के बाद विरम देवोत राव का आशीर्वाद वहा मूल्यवान माना जाता है!मेवाड़ घराने का जनाना जब भी कभी बाहर जाता था तब विरम देवोत राव या उनके घराने से कोई भी व्यक्ति जब तक डोली के पास नहीं जाते थे तब-तक मेवाड़ की रानी या राजकुमारी डोली के बहार अपना कदम नहीं रखती थी! कितना अटूट है यह विश्वास....जो महाराणा प्रताप जी के समय से भाई विरम देवोत के वंशज निभाते आये है ! कैसा है यह अनोखा सन्मान....! वहा मनुहार का प्याला और खाना खाकर सबसे विदा होकर विश्राम के लिए निकले! फिर शुरू हुई चित्तोड़ की यात्रा..... जहाँ हमारी कुलस्वामिनी बाण माता जी का दर्शन जो करना था! ठिकाना हमीरगढ़ की गाड़ी को देख लोग विनय के साथ खम्मा घन्नी कर रहे थे! जनता के ह्रदय में हमीरगढ़ राव के प्रति विशेष आस्था और आदर है.....प्रेम और लगाव है....जो हम स्वयं अनुभव कर रहे थे......! किसी मंत्री को भी इतना सन्मान नहीं मिलता जो जनता हमीरगढ़ राव को देती है!


         चित्तोड़ से हम हमीरगढ़  की और वापस आये ! वहां से खुली जिप में बैठकर रात्रि के विश्राम के लिए ऊँची चोटी पर स्थित हमीरगढ़ किले पर गए! वहा श्री राजमाता माईसा आनंद्कुंवर बा जी और महाराणी सौ. दिव्यकुंवर बाईसा जी का दर्शन हुवा! राजमाता जी सिरोही के झाला परिवार से है और महाराणी सा आगरिया के राठोड परिवार से ! आप के विनयशीलता ने हमें और भी प्रभावित कर दिया! राजकुमारी पयेश्वरी कुमारी और लावन्यप्रिया कुमारी अपनी मधुर मुस्कान लिए वहा खेल-कूद में व्यग्र थे! किले से राजपरिवार महलों की और चला गया! अब किले पर बाकि थे हम, हमारे साथी, श्री विनोद पंडित जी, श्री देवीलाल पुरोहित जी, श्री गोपालसिंह, श्री महेंद्रसिंह दरोगा, श्री रणजीतसिंह राठोड, श्री फिरोज मुह्हमद डायर, श्री भेरुलाल वैष्णव, श्री बाबूसिंह आदि ! यह सब साथी सभी कार्यों में एवं कृतियों में विशेष रूप से प्रवीण है और रात-दिन साये की तरह श्री राव हमीरगढ़ की सेवा में उपस्थित रहती है! जो हमेशा साथ रहते है तो उन्हें "साथी'' शब्द से पुकारना ही सार्थ और यथार्थ सिद्द होगा!


     रात के अँधेरे में हम किले का सफ़र कर रहे थे! श्री विनोद पंडित जी हमें किले के हर अंगों का परिचय दे रहे थे! किले के अन्दर राव साहब की एक घोड़ी है! जो किले के भीतर मुक्त रूप से घुमती है! अगर कोई उसके सामने गया तो उसकी खैर नहीं! विलक्षण तेज है यह घोड़ी! पुरोहित बनना के इशारों को बखूबी समझती है! वहा श्री राव साहब की एक कुत्तिया भी मौजूद रहती है जिसका नाम है ''सूजी'' जो ग्रेट दें प्रजाति की क्रोस -ब्रीड है! किले के अंतर्द्वार से हम सबसे पहले पुरोहित देवीलाल जी अन्दर गए और उन्होंने उस अबलख घोड़ी का लगाम अपने हाथों में ले लिया! उसे बांध दिया गया फिर हम अन्दर की और टहलने लगे! इतिहास के झरोखे के बाहर जाकर भी कई चर्चाये हुई! किले पर रोमांचक सफ़र का अनुभव कर हम किलेपर बने रहे नविन महलों की और गए जहा हमारा रात का खाना एवं विश्राम तय था! हम सबने रात का खाना खाया! फिर एक बुर्ज पर कुर्सिय राखी गयी जहाँ देर रात तक हमारी चर्चाये जारी रही! देर रात श्री राव हमीरगढ़ जी किसी देहात से वापस लौट आये ....वे अपने महलों में जाकर सीधे किले पर गए.....वहा हम फिर बातचीत करने बैठ गए! हम सुबह जल्दी लौटने वाले है तो चर्चा करने के लिए वे थके होने के बावजूद भी किले पर गए थे! वे भी हमारे साथ किले पर बने महल में ही सो गए!


     प्रात: दूर के मंदिर की घंटी बज रही थी! महाशिवरात्रि का दिन था! भगवन एकलिंग जी का नामस्मरण कर हम तैयार हो गए! एक बार फिर श्री राव हमीरगढ़ के साथ विशेष वार्तालाप को प्रारंभ हुवा....जिस वार्तालाप में श्री राव साहब जी ने हमें हमीरगढ़ के भुत, वर्तमान तथा भविष्यत् के बारे में जानकारी दी! हमारे विभिन्न कार्यक्रमों के अल्बम देखकर वे प्रभावित हो गए! शिरपुर आकर हमारे कार्यक्रम में जरुर उपस्थित रहने की इच्छा भी उन्होंने प्रकट की! भविष्य में सामाजिक संघटन के माध्यम से रचनात्मक समाज के नवनिर्माण के लिए अपने अनमोल विचारों के साथ हमें मार्गदर्शन भी किया तथा इस नेक कार्य के लिए अपने आशीर्वाद के साथ सहयोग का भी वादा किया! श्री राव साहब हमीरगढ़ वन सुरक्षा समिती के अध्यक्ष भी है! उन्ही की पहल से १०० हिरन हमीरगढ़ संक्चुरी में छोड़े गए है! आगे चल कर यह संक्चुरी विकसित हो और देश-विदेश के यात्री वहा की सफ़र का आनंद प्राप्त करे यह उनका सपना है! जिसे पूरा करने के लिए वे निरंतर कोशिश भी कर रहे है! उन्होंने हमें वहा के जंगल की भी सफ़र करवाई ! बाद में हमीरगढ़ संस्थान के विभिन्न हथियार भी हम ने देखे...! छोटे बन्ना सा जी ने हमें विभिन्न हथियारों का परिचय भी दिया! सामंती राजपरिवार में जन्म लेकर भी किसी आम नागरिक की तरह वे अपने कम में व्यग्र रहते है! निरंतर दूर-दूर के गावों की यात्राओं के, समारोह की व्यस्तता के बावजूद भी अपने कारोबार---खेती के लिए भी वक्त निकाल लेते है! पुरखों से प्राप्त विरासत में मिले महल और किले पर हेरिटेज पार्क बनाकर वहा देश-विदेश के टूरिस्ट को आकर्षित करने की भी उनकी योजना है! एन.जी. संस्था के द्वारा वे अपने जागीर के गावों के गरीब परिवार, बालक एवं महिलाओं के लिए विभिन्न रूप से कार्य आरम्भ करने वे चाहते है! अपने महल;गाडिया, घोड़े शाही शान के बावजूद भी विनयशीलता और सेवाभाव से उनके व्यक्तित्व का और भी गौरव बढ़ता है! हर रोज प्रात: समय में जागकर महल में स्थित कुलदेवी बाण माता जी की शाही तरीके से पूजा अर्चना नित्य होती है! पूजा के बाद घुड़सवारी, १००० डिप्स, रनिंग आदि कसरत कर अपने स्वास्थ्य को मजबूत रखते है! बाद में दरिखाने में उपस्थिति देकर लोगों से मिलना होता है! उनकी हर सुबह ऐसे ही प्रारंभ होती है!


         दोपहर में श्री राव साहब के साथ शिवरात्रि का पवित्र भोज का लाभ लेकर हम शिरपुर के लिए चल दिए! हमें विदाई देने के लिए स्वयं श्री राव साहब , छोटे बन्ना श्री हर्षप्रदीप सिंहजी ,श्री विनोद जी और सारे साथी मौजूद थे! हमीरगढ़ के महलों से बाहर निकलते वक्त वहा की अविस्मरनीय यादे अपने ह्रदय में साथ लिए हम शिरपुर की और चल पड़े.....! गाड़ी के शीशे में महलों के पास खड़े श्री रावसाहब का अलविदा कहता हाथ दिखाई दे रहा था! वह दो दिन मानो दस साल जैसे लग रहे थे! आँखे उनकी प्रतिमा को आश्वस्त कर रहे थे....हम फिर एकबार आयेंगे.....! अलविदा....हमीरगढ़....!!!


                                                                      (c) लेखक: श्री. ठा.जयपालसिंह विक्रमसिंह गिरासे (सिसोदिया)


                                              ५०, विद्याविहार कोलोनी, शिरपुर ,महाराष्ट्र


                                            मो. ०९४२२७८८७४०


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