By - Ratan Singh Bhagatpura
दिल्ली के बादशाह अकबर के साथ अपने स्वातंत्र्य संघर्ष के दौरान महाराणा प्रताप को चितौड़गढ़ छोड़कर वर्षों तक जंगलों व पहाड़ों में विस...्थापित जीवन जीना पड़ा!
उनके उसी संघर्ष से आजादी की प्रेरणा लेकर भारत के लोगों ने अंग्रेज सत्ता से मुक्ति पाई!
आज भी महाराणा प्रताप राष्ट्र में स्वाधीनता के प्रेरणा श्रोत व राष्ट्र नायक माने जाते है!
स्वाधीनता संघर्ष के लिए जब भी किसी वक्ता को कोई उदाहरण देना होता है तब राष्ट्र नायक महाराणा प्रताप का नाम सर्वोपरि लिया जाता है!
देश की राजधानी दिल्ली में इस राष्ट्र गौरव को सम्मान देने व उनकी स्मृति बनाये रखने हेतु कश्मीर गेट स्थित अंतर्राज्य बस अड्डे का नामकरण महाराणा प्रताप के नाम पर किया गया!
साथ ही अंतर्राज्य बस अड्डे के साथ लगे कुदसिया पार्क में महाराणा की एक विशाल प्रतिमा स्थापित की गई! जो उधर से आते जाते हर व्यक्ति को दिखाई देती थी! पर कश्मीरी गेट के पास बन रहे मेट्रो रेल के निर्माण के बीच में आने की वजह से उस मेट्रो रेल ने जिसने एक खास समुदाय की भावनाओं का ख्याल रखते हुए अपना निर्धारित रेल लाइन का रूट तक बदल दिया था---- ने महाराणा प्रताप की इस प्रतिमा को उखाड़ कर एक कोने में रख विस्थापित कर दिया जिसे राजस्थान व देश के अन्य भागों के कुछ राजपूत संगठनों व दिल्ली के ही एक विधायक के विरोध करने के बाद मूल जगह से दूर कुदसिया पार्क में अस्थाई चबूतरा बनाकर अस्थाई तौर पर स्थापित किया!
पर आज प्रतिमा को हटाये कई वर्ष होने के बावजूद मेट्रो रेल प्रशासन ने इस प्रतिमा को सम्मान के साथ वापस लगाने की जहमत नहीं उठाई...................!
जबकि मेरी एक आर.टी.आई. के जबाब में मेट्रो रेल ने प्रतिमा वापस लगाने की जिम्मेदारी भी लिखित में स्वीकार की है साथ ही निर्माण पूरा होने के बाद प्रतिमा सही जगह वापस स्थापित करने का वायदा भी किया पर इस कार्य के लिए मेरे द्वारा पूछी गई समय सीमा का गोलमाल उतर दिया.........!
शहर के विकास कार्यों के बीच में आने के चलते प्रतिमा हटाने में किसी को कोई आपत्ति नहीं पर उसे वापस समय पर न लगाना चिंता का विषय तो है ही साथ ही राष्ट्र गौरव के प्रतीक महाराणा प्रताप का अपमान भी है.....!.
पर अफ़सोस राष्ट्र गौरव के प्रतीक के अपमान के खिलाफ देश के कुछ राजपूत संगठनों के अलावा किसी ने कोई आवाज नहीं उठाई......!
अपने आपको राष्ट्रवादी कह प्रचारित करने वाले संगठन भी इस मुद्दे पर मौन है.....!
लज्जाजनक बात तो यह है राष्ट्रवाद का दम भरने व अपने कार्यक्रमों में महाराणा प्रताप के चित्रों का इस्तेमाल करने वाली भाजपा जो दिल्ली के स्थानीय निकाय दिल्ली नगर निगम में काबिज है और जो इस प्रतिमा के लिए उपयुक्त जगह का इंतजाम कर सकती है एकदम निष्क्रिय है......!
क्या भाजपा व राष्ट्रवादी संगठन सिर्फ अपने कार्यक्रमों में महाराणा का चित्र लगाकर और उनकी वीरता का बखान करने तक ही सीमित है ?
क्या राष्ट्र गौरव के सम्मान की चिंता सिर्फ राजपूत समुदाय को ही करनी चाहिए ?
क्या महाराणा की प्रतिमा को मेट्रो रेल की सुविधानुसार व उसकी मर्जी से पुन: स्थापित करने तक उसे कुदसिया पार्क में विस्थापित स्थित में ही छोड़ देना चाहिए ?
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